आज हमलोग इस लेख के माध्यम से जानेंगे कि निदानात्मक मूल्यांकन क्या है? तो चलिए हमलोग जानते हैं की निदानात्मक मूल्यांकन किसे कहते हैं?
निदानात्मक मूल्यांकन क्या है?
यह मूल्यांकन शिक्षण कार्य के साथ-साथ किया जाता है। इस मूल्यांकन में यह पता लगाया जाता है कि जो विद्यार्थी पढ़ाई के दौरान असफल होते हैं उन विद्यार्थियों को असफलता के कारण का पता लगाया जाता है।
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मूल्यांकन क्यों जरूरी होता है?
यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा बालकों के प्रगति अस्तर का पता लगाया जाता है। मूल्यांकन अधिगम को सरल एवं सुगम बनाने की कार्य करता है। मूल्यांकन से यह पता लग जाता है कि बालक कहां पर समझता है। तथा कोई कोई ऐसा भी तथ्य होता है जो बालक समझने में असमर्थ होता है यह बात मूल्यांकन के द्वारा ही पता चल पाता है।
जिस टॉपिक को समझने में बालक को कठिनाई होती है यह बात मूल्यांकन से पता लग जाता है तथा इसके फलस्वरूप शिक्षक उस टॉपिक को अन्य तरीकों से विद्यार्थियों को समझाने का कोशिश करते हैं इससे यह पता चलता है कि शिक्षक को शिक्षण विधि के लिए मूल्यांकन का होना जरूरी है।
अगर किसी वर्ग के मूल्यांकन के परिणाम में 90% बच्चे सफल होते हैं तथा 10% बच्चे और सफल होते हैं तो ऐसा माना जाता है कि 10% बच्चे में कमी है जिसके कारण हुए और सफल हुए हैं।परंतु दूसरी तरफ अगर 90% बच्चे और सफल होते हैं और केवल 10% बच्चे ही सफल होते हैं तो यह बात को दर्शाता है कि कहीं ना कहीं बच्चे में कमी ना होकर शिक्षण व्यवस्था में कमी है जिसके कारण 90% बच्चे असफल हुए हैं।
मूल्यांकन के उद्देश्य क्या है?
- (Evaluation) मूल्यांकन के द्वारा बालकों की प्रगति स्तर का पता लगाया जाता है।
- छात्रों के विकास को निरंतर गति देना मूल्यांकन का उद्देश्य है।
- बालकों के योग्यता, कुशलता, क्षमता तथा गुण इत्यादि का पता मूल्यांकन के द्वारा लगाया जाता है।
- शिक्षकों की कुशलता एवं सफलता का पता भी मूल्यांकन के द्वारा लगाया जाता है।
- मूल्यांकन के द्वारा अध्ययन एवं अध्यापन दोनों को प्रभावशाली बनाया जाता है।
- उपरोक्त सारी बातें मूल्यांकन का उद्देश्य है।
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