बाल विकास क्या है? बाल विकास की अवधारणा क्या है, बाल विकास की परिभाषा क्या है, बाल विकास का अर्थ क्या है तथा बाल विकास को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?

बाल विकास की अवधारणा

बाल विकास एक बहुमुखी प्रक्रिया है जिसमें बालक के मानसिक व शारीरिक विकास होता है। बाल विकास के अंतर्गत बालकों में शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, संज्ञानात्मक, भाषागत तथा धार्मिक इत्यादि क्षेत्रों में विकास होता है।

बाल विकास का संबंध गुणात्मक एवं परिणात्मक दोनों विकास से है। गुणात्मक विकास के अंतर्गत कार्यकुशलता, ज्ञान, तर्क एवं विचारधारा इत्यादि आते हैं।
परिनात्मक विकास के अंतर्गत लंबाई में वृद्धि, भार में वृद्धि इत्यादि आते हैं।

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बाल विकास की परिभाषा

बालको का मानसिक व शारीरिक विकास जिस प्रक्रिया के द्वारा संपन्न होता है उसे बाल विकास कहते हैं।

बाल विकास क्या है?

बाल विकास के संदर्भ में मनोवैज्ञानिकों का मत –

स्कीनर के अनुसार ⤏

विकास एक क्रमिक एवं मंद गति से चलने वाली प्रक्रिया है।

हरलॉक के अनुसार ⤏

बाल मनोविज्ञान का नाम बाल विकास इसलिए रखा गया क्योंकि विकास के अंतर्गत बालक के विकास के समस्त पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, किसी एक पक्ष पर नहीं।

क्रो और क्रो के अनुसार ⤏

बाल मनोविज्ञान व विज्ञान है जिसमें जन्म से परिपक्व अवस्था तक विकसित हो रहे मानव का अध्ययन किया जाता है।

ड्रेवर के अनुसार ⤏

विकास प्राणी में प्रगतिशील परिवर्तन है जोकि किसी निश्चित लक्ष्य की ओर निरंतर निर्देशित रहता है।

बाल विकास का अर्थ

बाल विकास का अर्थ केवल बालक का बड़ा होना नहीं है,अपितु यह एक बहुमुखी प्रक्रिया है और इसमें मात्र शरीर के अंगों का विकास ही नहीं परंतु सामाजिक, सांवेगिक अवस्थाओं में होने वाले परिवर्तनों को भी शामिल किया जाता है। बाल विकास के अंतर्गत शक्तियों और क्षमताओं के विकास को भी गिना जाता है।

बाल विकास एक अमूर्त ही नहीं अपितु इसे देखा जा सकता है और कुछ सीमा तक किसका मापन भी किया जा सकता है यह विकास व्यक्ति के व्यवहार में परिलक्षित होता है।

बाल विकास को प्रभावित करने वाले कारक

बाल विकास को प्रभावित करने वाले कारकों को विद्वानों ने दो भागों में बांटा है।

  1. आंतरिक कारक
  2. बाह्य कारक

बाल विकास को प्रभावित करने वाले आंतरिक कारक निम्नलिखित है –

वंशानुगत कारक

बालको के रंग रूप, आकार, शारीरिक गठन, लंबाई इत्यादि के निर्धारण में वंशानुगत कारक काफी अहम भूमिका निभाती है। बालक के अनुवांशिक गुण उसके बुद्धि एवं विकास को भी प्रभावित करता है।

शारीरिक कारक

शारीरिक कमियों का स्वास्थ्य पर तो प्रभाव पड़ता ही है अपितु बालकों के विरोधी एवं विकास पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

बुद्धि

बालक अपने परिवार,समाज एवं विद्यालय मैं अपने आप को किस तरह समायोजित करता है वह उसकी बुद्धि पर निर्भर करता है और बुद्धि बाल विकास को प्रभावित करता है।

सामाजिक प्रकृति

बालकों के विकास में सामाजिक प्रकृति अहम भूमिका निभाती है। बालक जिस परिवेश में रहेगा उसका विकास भी उसी परिवेश के अनुकूल होगा।
बच्चा जितना अधिक सामाजिक रूप से संतुलित होगा, उसका प्रभाव उसके शारीरिक, मानसिक, संवेगात्मक, भौतिक तथा भाषा संबंधी विकास पर भी उतना ही अनुकूल प्रभाव पड़ेगा।

बाल विकास को प्रभावित करने वाले बाह्य कारक

गर्भावस्था के दौरान माता का स्वास्थ्य

गर्भावस्था के दौरान माता का मानसिक एवं शारीरिक प्रभाव उसके बालकों पर पड़ता है जिस परिवेश में माता रहती है बालकों का विकास भी उसी प्रकार से होता है।

जीवन की घटनाएं

जीवन की घटनाओं का बालकों के जीवन पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है।यदि कोई बालक सब चीजों से संपन्न है तो उसका विकास की गति भी सही होगा अन्यथा उसके विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। जैसे किसी बच्चे की माता उसे बचपन में छोड़ दिया हो तो वह मां के प्यार से वंचित हो जाता है ऐसी स्थिति में उसका सर्वांगीण विकास नहीं हो पाता है।

वातावरण

बाल विकास में वातावरण का एक बहुत ही बड़ा योगदान होता है। बालक का जन्म किस परिवेश में हुआ, बालक किन लोगों के साथ रह रहा है इन सब का प्रभाव उसके विकास पर पड़ता है।

आज हम लोगों ने जाना कि बाल विकास क्या है? बाल विकास की अवधारणा क्या है, बाल विकास की परिभाषा क्या है, बाल विकास का अर्थ क्या है तथा बाल विकास को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?

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