मध्याह्न भोजन स्कीम क्या है? मिड डे मील योजना क्या है?
मध्याह्न भोजन स्कीम या मिड डे मील योजना एक ऐसी योजना है जिसमें सभी सरकारी स्कूल के प्राथमिक तथा मिडिल स्तरों के बच्चे को स्कूल में मुफ्त में भोजन देने की योजना है। इस योजना का अपना कई उद्देश्य है जिसकी पूर्ति के लिए यह योजना सरकार द्वारा चलाई गई है जिसके बारे में हम लोग नीचे अध्ययन करेंगे।
मिड डे मील योजना की शुरुआत सर्वप्रथम भारत के तमिलनाडु से प्रारंभ हुई थी।

मध्याह्न भोजन स्कीम का उद्देश्य सर्व शिक्षा अभियान को और सफल बनाना था। प्राथमिक कक्षाओं में नामांकन में वृद्धि हो तथा स्कूल छोड़कर भागने की बालकों में जो प्रवृत्ति थी उसमें कमी हो इत्यादि बातों को ध्यान में रखकर इस स्कीम को शुरू की गई है।
मध्याह्न भोजन स्कीम या मिड डे मील योजना की शुरुआत सर्वप्रथम कब हुई?
- मिड डे मील योजना की शुरुआत सर्वप्रथम 15 अगस्त, 1995 में हुई।
- यह योजना सर्वप्रथम भारत के तमिलनाडु से प्रारंभ हुई।
मध्याह्न भोजन स्कीम के अंतर्गत मिलने वाले भोज्य पदार्थ
- इस योजना के अंतर्गत पहली से पांचवी कक्षा तक देश के सभी राजकीय अनुदान प्राप्त प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले सभी छात्रों को 80% उपस्थिति पर प्रतिमाह 3 किलोग्राम गेहूं अथवा चावल दिए जाने की व्यवस्था की गई थी।
- 1 सितंबर, 2004 से प्राथमिक विद्यालयों में पके पकाए भोजन उपलब्ध कराने की योजना आरंभ कर दी गई।
- इस योजना के अंतर्गत विद्यालय में मध्यावकाश मैं छात्र छात्राओं को प्रत्येक सप्ताह में 4 दिन चावल से बने भोज्य पदार्थ तथा 2 दिन गेहूं से बने भोज्य पदार्थ दिए जाने की व्यवस्था की गई है।
- पौष्टिकता सुनिश्चित करने के लिए यह तय किया गया कि भोजन कम से कम 450 कैलोरी व 12 ग्राम प्रोटीन वाला हो।
- मध्याह्न भोजन वर्ष में कम से कम 200 दिनों तक उपलब्ध कराए जाने की व्यवस्था है।
- इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक छात्र एवं छात्रा के लिए प्रतिदिन एक सौ ग्राम खाद्यान्न से निर्मित सामग्री दिए जाने का प्रावधान है।
- भोजन पकाने का कार्य ग्राम पंचायतों की देखरेख में किया जाता है।
मध्याह्न भोजन स्कीम क्या है? मिड डे मील योजना क्या है?
मध्याह्न भोजन स्कीम के लाभ
- मध्याह्न भोजन स्कीम लागू करने से सर्वशिक्षा अभियान की कई उद्देश्य की पूर्ति होती है।
- इस स्कीम के लागू होने से प्राथमिक कक्षाओं में विद्यार्थियों की नामांकन दर में वृद्धि हुई है।
- पहले जो बच्चे स्कूल से भाग आते थे या बीच में ही स्कूल छोड़ने की प्रवृत्ति थी उन में कमी आई है।
- गरीब परिवार से आने वाले बच्चे जिनका भरण पोषण नहीं हो पाता था जिसके कारण व पढ़ाई से वंचित रहते थे उन बच्चों को इस स्कीम के लागू होने से पढ़ाई के प्रति जागरूकता पैदा हुई है।
- अतः मध्याह्न भोजन स्कीम शिक्षा दर को बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा चलाई गई एक योजना है।
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