सतत एवं व्यापक मूल्यांकन किसे कहते कहते हैं? CCE kya hai? आज हमलोग जानेंगे की सतत एवं व्यापक मूल्यांकन क्या है? सतत एवं व्यापक मूल्यांकन (CCE) के सोपान के बारे में जानेंगे तो चलिए जानते हैं कि सतत एवं व्यापक मूल्यांकन किसे कहते हैं?

मूल्यांकन अधिगम प्रक्रिया का एक अभिन्न अंग है शिक्षण अधिगम प्रक्रिया का अंतिम सोपान अधिगम है CBSE ने अधिगम के मूल्यांकन हेतु सतत एवं व्यापक मूल्यांकन की अनुशंसा की है सतत एवं व्यापक मूल्यांकन के अंतर्गत दो बात (भाव) आते हैं – सतत एवं व्यापक मूल्यांकन

 

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सतत एवं व्यापक मूल्यांकन किसे कहते कहते हैं?

सतत मूल्यांकन क्या है?

अधिगम एक सतत प्रक्रिया है अर्थात यह एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है इसीलिए शिक्षार्थियों का मूल्यांकन भी निरंतर होना चाहिए सतत मूल्यांकन का उद्देश्य है- कि विद्यार्थियों का मूल्यांकन लगातार होते रहना चाहिए
सतत मूल्यांकन तीन प्रकार के होते हैं-
1.निदानात्मक मूल्यांकन
2.संकलनात्मक मूल्यांकन
3.रचनात्मक मूल्यांकन

व्यापक मूल्यांकन क्या है?

सतत मूल्यांकन विद्यार्थी के व्यवहार के एक पक्ष- संज्ञानात्मक पक्ष, का मूल्यांकन करता हैव्यापक का अर्थ है -विस्तार व्यापक मूल्यांकन के द्वारा शिक्षार्थियों के व्यवहार के तीनों पक्ष- संज्ञानात्मक, भावात्मक तथा क्रियात्मक पक्ष का मूल्यांकन होता है इस मूल्यांकन के द्वारा शिक्षार्थियों के शैक्षणिक एवं गैर- शैक्षणिक पक्षों का भी मूल्यांकन होता है अर्थात व्यापक मूल्यांकन से शिक्षार्थियों के सभी पक्षों के व्यापक रूप से मूल्यांकन होता है शिक्षार्थियों के कोई भी पक्ष मूल्यांकन से वंचित नहीं रहता हैशिक्षार्थियों के अधिगम में सुधार हेतु सतत एवं व्यापक मूल्यांकन का होना अति आवश्यक है

सतत एवं व्यापक मूल्यांकन का महत्व :-

CCE का महत्व निम्नलिखित है-
  • इससे शैक्षिक एवं गैर शैक्षिक दोनों पक्षों का मूल्यांकन होता है
  • इससे शिक्षार्थियों के कमजोरी को पहचान कर उसका निदान किया जाता है
  • यह उपलब्धि स्तर को निरंतर बनाए रखता है
  • सतत एवं व्यापक मूल्यांकन शिक्षार्थियों के लिए अभिप्रेरणा कार्य करता है ताकि अधिगम प्रक्रिया में रुचि उत्पन्न हो
  • यह शिक्षक को सही कार्य नीति बनाने में मदद करता है
  • सतत एवं व्यापक मूल्यांकन विद्यालय व्यवस्था की जांच करता है
  • निरंतर मूल्यांकन होते रहने से शिक्षार्थियों में परीक्षा का अनावश्यक डर नहीं होता है

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