अभिप्रेरणा(Motivational) क्या है?
अभिप्रेरणा का अर्थ
अभिप्रेरणा(Motivational) क्या है?अभिप्रेरणा Motivation का अर्थ होता है किसी कार्य को करने की इच्छा शक्ति का होना। अभिप्रेरणा वह आंतरिक शक्ति है जो उनके उद्दीपन(Stimulus) का परिणाम होती है, जिसके माध्यम से बालक एक निश्चित व्यवहार की दिशा में सक्रिय तथा नियंत्रित होता है। अभिप्रेरणा हमेशा सीखने के लिए छात्रों में उत्सुकता उत्पन्न करता है तथा बालक को निरंतर क्रियाशील बनाए रखता है।
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अभिप्रेरणा(Motivational) क्या है?
बी. एफ.स्किनर ने अभिप्रेरणा को सीखने का राजमार्ग बताया है। यह व्यक्ति के समग्र विकास एवं सफलता प्राप्त करने का महत्वपूर्ण स्रोत है।
अभिप्रेरणा सामान्यतः किसी आवश्यकता से प्रारंभ होती है तथा लक्ष्य प्राप्ति के उपरांत समाप्त हो जाती है।
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अभिप्रेरणा के संदर्भ में मनोवैज्ञानिकों का कथन :-
गुड के अनुसार,” क्रिया को उत्तेजित करने, नियंत्रित करने तथा नियंत्रित रखने की प्रक्रिया को अभिप्रेरणा कहते हैं”।
बनावट के अनुसार,” जिस लक्ष्य के प्रति पहले कोई आकर्षण न था उस लक्ष्य के प्रति कार्य की उत्तेजना ही अभिप्रेरणा है”।
वुडवर्थ के अनुसार,” अभिप्रेरणा शक्ति की वह स्थिति है जो उसे निर्धारित व्यवहार करने हेतु निर्धारित उद्देश्य को प्राप्त करने हेतु उत्तेजित करती है”।
अभिप्रेरणा के अन्य महत्वपूर्ण सिद्धांत :-
सिद्धांत | सिद्धांत के प्रतिपादक |
मूल प्रवृत्ति का सिद्धांत | मैकडूगल,बर्ट,जेम्स |
मनोविश्लेषण का सिद्धांत | फ्रायड |
अंतर्नोद का सिद्धांत | सी० एल० हल |
प्रोत्साहन का सिद्धांत | बोल्स और कॉफमैन |
शरीर क्रिया का सिद्धांत | मॉर्गन |
अधिगम सिद्धांत | लेविन |
अभिप्रेरणा के प्रकार :-
अभिप्रेरणा के दो प्रकार होते हैं –
(1.) आंतरिक अभिप्रेरणा(Internal Motivation)
वे आंतरिक शक्तियां जो व्यक्ति के व्यवहार को उत्तेजित करता है, अभिप्रेरणा कहलाता है। जैसे- भूख, प्यास, नींद, प्यार इत्यादि आंतरिक प्रेरणा के उदाहरण है।
(2.) बाह्य अभिप्रेरणा(External Motivation)
बाह्य अभिप्रेरणा में लक्ष्य पहले से निर्धारित होती है पहले से निर्धारित कोई ऐसा उद्देश्य जिसे प्राप्त करना व्यक्ति हो बाह्य अभिप्रेरणा कहलाती है। जैसे- रुचि, आत्मसम्मान, सामाजिक प्रतिष्ठा एवं विशेष उपलब्धि पुरस्कार इत्यादि बाह्य अभिप्रेरणा के उदाहरण है।
अभिप्रेरणा(Motivational) क्या है?
प्रेरणा (Motivation) के प्रकार :-
(1) सकारात्मक प्रेरणा (Positive Motivation):-
सकारात्मक प्रेरणा में बालक किसी कार्य को अपनी स्वयं की इच्छा से करता है इस कार्य को करने से उसे सुख और संतोष प्राप्त होता है।
(2) नकारात्मक प्रेरणा(Negative Motivation):-
नकारात्मक प्रेरणा में बालक किसी कार्य को अपनी स्वयं की इच्छा से न करके, किसी दूसरे की इच्छा से करता हो। इस प्रकार से कार्य को करने में उसे किसी वांछनीय निश्चित लक्ष्य की प्राप्ति होती है।
आगमन विधि तथा निगमन विधि में अंतर
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