अधिगम- अर्थ, परिभाषा और सिद्धांत: अधिगम- के परिभाषा, अर्थ व सिद्धांत को नीचे दिए विवरणों द्वारा आसानी से समझा जा सकता हैं|
अधिगम- अर्थ
:- बच्चों के व्यवहार में होने वाले परिवर्तन को अधिगम कहते हैं|
अधिगम जन्मजात नहीं होता है यह वंश क्रम की देन के रूप में उसे विरासत में नहीं प्राप्त होता है बल्कि वातावरण में निहित कारकों के प्रभाव से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष अनुभवों के माध्यम से उसके द्वारा स्वयं ही अर्जित किया जाता है है
(अधिगम की विशेषताएं)
- सामान्य अधिगम की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित है:-
- इतना जीवन प्रयत्न चलने वाली प्रक्रिया है
- सीखना सर्वभोमिक ता का परिचय देता है
- विकास का प्रतीक माना जाता है
- सीखना एक अनुकूलन प्रक्रिया है
- अधिगम निरंतर परिवर्तन है
- सीखना व्यक्तिगत और सामाजिक दोनों होते हैं
- एक प्रकार की खोज करना है
अधिगम के प्रकार कौन-कौन से हैं
- अधिगम आभार में परिवर्तन का प्रतिरूप समझा जाता है इस में व्यावहारिक परिवर्तन तब तक संभव नहीं है जब तक कि भावनात्मक परिवर्तन ना हो और भावनात्मक परिवर्तन का सीधा संबंध ज्ञान अर्जित करने से है इस दृष्टिकोण से अधिगम के तीन प्रकार होते हैं जो निम्नलिखित है
1. संज्ञानी अथवा संज्ञानात्मक अधिगम
2. भावनात्मक अथवा मनोवृतयात्मक अधिगम
3. कौशलात्मक अथवा क्रियात्मक अधिगम
अधिगम के नियम
अधिगम के नियम का प्रतिपादन थार्नडाइक ने किया जो निम्नलिखित है:-
1. अभ्यास के नियम
किस नियम के साथ सीखी हुई बातों को व्यवहार में लाने की अनिवार्यता होती है, क्योंकि अगर सीखी हुई बातों के व्यवहार में नहीं लाते हैं तो उन्हें भूल जाने की संभावना रहती है
2. तत्परता के नियम
इस नियम के तहत शिक्षार्थी को किसी बात को सीखने हेतु मानसिक रूप से तैयार किया जाना अनिवार्य है क्योंकि जब तक उन्हें मानसिक रूप से तैयार नहीं किया जाता है उन्हें कोई चीज सीखना संभव नहीं है
3. प्रभाव का नियम
प्रभाव का नियम के तहत विद्यार्थी वैसी बातों को जल्दी सीखते हैं जिनके जीवन में उपयोगिता अधिक होती है नई बातों को भी शिक्षार्थी जल्दी सीखते हैं
इस लेख के माध्यम से सभी लोगों को अधिगम- अर्थ परिभाषा और सिद्धांत के बारे में अवगत कराया गया है जो सभी के लिए उपयोगी साबित हो सकता है