अनुवांशिकता क्या है?
अनुवांशिकता को वंशानुक्रम(Heredity) तथा अनुवांशिक को वंशानुगत भी कहा जाता है। अनुवांशिक या वंशानुगत गुणों का एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरण को अनुवांशिकता करते है अर्थात माता-पिता का गुण बालकों में पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानांतरित होती रहती है। यह प्रक्रिया अनुवांशिकता कहलाता है। अनुवांशिकता के माध्यम से शारीरिक, मानसिक, सामाजिक गुणों का स्थानांतरण बालकों में होता है।
अनुवांशिकता क्या है?
जेम्स ड्रेवर के अनुसार :-” शारीरिक एवं मानसिक विशेषताओं का माता-पिता से संतानों में हस्तांतरण होना अनुवांशिकता कहलाता है।
एच ए पेटरसन एवं बुडवर्थ:- “व्यक्ति अपने माता पिता के माध्यम से पूर्वजों की जो विशेषताएँ प्राप्त करता है, उसे वंशानुक्रम कहते है।”
पी जिसबर्ट :- “प्रकृति में पीढ़ी का प्रत्येक कार्य कुछ जैविकीय अथवा मनोवैज्ञानिक विशेषताओं को माता-पिता द्वारा उनकी सन्तानों में हस्तान्तरित करना ही आनुवंशिकता है।”
रूथ बेनेडिक्ट के अनुसार :- माता – पिता से संतान को हस्तान्तरित होने वाले गुणो को वंशानुक्रम कहते है।
अनुवांशिकता क्या है?
अनुवांशिकता का प्रभाव :-
बालकों के वृद्धि तथा विकास उसके रंग-रूप, शारीरिक गठन, लंबाई इत्यादि के निर्धारण में अनुवांशिकता का महत्वपूर्ण योगदान होता है। अनुवांशिकता का प्रभाव शारीरिक बुद्धि तथा चरित्र अलग-अलग पड़ता है।
शारीरिक लक्षणों पर प्रभाव :-
शारीरिक लक्षणों जैसे- बालक के रंग-रूप, शारीरिक गठन, लंबाई इत्यादि अनुवांशिकता के कारण काफी प्रभावित होते हैं।
बुद्धि पर प्रभाव :-
बुद्धि को अधिगम की योग्यता, समायोजन योग्यता तथा निर्णय लेने की क्षमता इत्यादि के रूप में परिभाषित किया जा सकता है बालक अपने परिवार, समाज एवं विद्यालय में अपने आप को किस तरह से समायोजित करता है यह उसके पति पर निर्भर करता है बालकों का बुद्धि अनुवांशिकता के कारण प्रभावित होता है।
गोडार्ड के अनुसार- ” मंदबुद्धि माता पिता की संतान मंदबुद्धि और तिरुपति माता-पिता की संतान बुद्धि वाली होती है।
चरित्र पर प्रभाव :-
डलडेल नामक मनोवैज्ञानिक ने अपने अनुसंधान के आधार पर यह बताया कि माता-पिता के चरित्र का प्रभाव उसके बच्चों पर पड़ता है। व्यक्ति के व्यक्ति के चरित्र पर उसके वंशानुगत कारकों का प्रभाव भी स्पष्ट रूप से देखा जाता है इसीलिए बच्चे पर उसका प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है।
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