अप्पिको आंदोलन क्या है?
अप्पिको आंदोलन से जुड़ी स्मरणीय तथ्य
- अप्पिको आंदोलन के नेता पांडुरंग हेगड़े थे।
- यह आंदोलन चिपको आंदोलन का ही रूप था।
- इस आंदोलन की शुरुआत कर्नाटक में हुई थी।
अप्पिको आंदोलन क्या है?
अप्पिको आंदोलन कब हुआ?
कन्नड़ भाषा में चिपको का अर्थ अप्पिको होता है। इस तरह से अप्पिको आंदोलन चिपको आंदोलन की तर्ज पर ही कर्नाटक के पांडुरंग हेगड़े के नेतृत्व में अगस्त 1983 में शुरू हुआ। इस आंदोलन में भी लोगों ने पेड़ से चिपक कर पैरों की रक्षा की है।
अप्पिको आंदोलन का मुख्य उद्देश्य वनारोपण विकास एवं संरक्षण है।
चिपको आंदोलन की प्रासंगिकता
चिपको आंदोलन की मान्यता है कि वनों का संरक्षण तथा संवर्धन सिर्फ कानून बनाकर अथवा प्रतिबंधात्मक आदेश के द्वारा नहीं किया जा सकता है। वनों के पतन अथवा वन प्रबंधन संबंधी नीतियां ही दोषपूर्ण है। गांव की जनता की आवश्यकताओं की तरफ से पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया।एक तरफ सरकारी संरक्षण में पदार्थों की ऊंची कीमत पर बेचा जा रहा है तो दूसरी तरफ वनों के बीच में रहने वाले लोगों की जलाऊ लकड़ी, इमारती लकड़ी, चाय पत्ती जैसी आवश्यकताएं जो कानून से प्राप्त हैं, आज की सरकारी नीतियों द्वारा छीनी जा रही है। अप्पिको आंदोलन क्या है?
पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी आंदोलन में भी महिलाओं ने अपनी महती भूमिका का निर्वहन किया है। इतिहास साक्षी है कि प्राचीन समय में पर्यावरण संरक्षण से संबंधित प्रयास महिलाओं की पहल से ही शुरू हुई है। 18वीं शताब्दी के प्रारंभ में जोधपुर नरेश के कर्मचारियों द्वारा खेजड़ली गांव में पेड़ों की कटाई प्रारंभ की गई। श्रीमती अमृता देवी ने अपना बलिदान देकर वृक्षों की रक्षा की, जो अपने आप में प्रेरणा स्रोत है।
अप्पिको आंदोलन क्या है?
सन 1974 में उत्तराखंड में रैणी गांव में पुरुष की अनुपस्थिति में श्रीमती गौरा देवी ने वृक्ष को बचाने के लिए घर-घर जाकर महिलाओं को एकत्रित किया तथा चिपको आंदोलन से पेड़ो को बचाई थी।
वनों के महत्व को ध्यान में रखते हुए चिपको आंदोलन के मुख्य उद्देश्य रहे हैं :-
- आर्थिक स्वावलंबन के लिए वृक्षों का व्यवहारिक दोहन बंद किया जाए।
- प्राकृतिक संतुलन के लिए वृक्षारोपण के कार्यों को गति दी जाए।
- चिपको आंदोलन की स्थापना के पश्चात चिपको आंदोलन कार्ता द्वारा एक नारा दिया गया –
“क्या है जंगल के उपचार मिट्टी, पानी और बयार
मिट्टी, पानी और बयार, जिंदा रहने के आधार”।।
अप्पिको आंदोलन क्या है?
चिपको आंदोलन की मान्यताएं है कि वनों के संरक्षण हेतु लोक शिक्षण को आधार बनाया जाए जिससे और ज्यादा व्यापक स्तर पर जनमानस को जागरूक किया जा सके।योजना की सफलता हेतु यह तथ्य भुलाया नहीं जा सकता है कि लोगों को जोड़ें बगैर वन संरक्षण की कल्पना ही व्यर्थ है। इस तरह चिपको आंदोलन में पेड़ों की रक्षा हेतु सुदृढ़ आधार, वन संसाधनों का वैज्ञानिक तरीके से उपयोग, समुचित संरक्षण और वृक्षारोपण आदि के लिए कार्य किए गए। यह आंदोलन अब सिर्फ पेड़ों से चिपकने एवं उनको बचाने का आंदोलन ही नहीं रह गया,वन प्रबंधन को एक स्वरूप प्रदान करने तथा जंगल तथा वनवासियों को समृद्धि के साथ ही धरती की समृद्धि वाला आंदोलन बन गया है।
अप्पिको आंदोलन के नेता कौन थे?
– अप्पिको आंदोलन के नेता पांडुरंग हेगड़े थे।
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