आज किस लेख में हम लोग भेदभाव के बारे में अध्ययन करेंगे। इस लेख के माध्यम से आप जानेंगे कि भेदभाव क्या होता है? भेदभाव किसे कहते हैं? भेदभाव कैसे उत्पन्न होता है? अगर आपके मन में इस तरह के सवाल है आ रही होगी कि पूर्वाग्रह या रूढ़िवाद धारणाओं को ही भेदभाव कहा जाता है, यह कितना तक सही है या गलत है इन सारे सवालों का जवाब आपको इस लेख के अंतर्गत मिलेगी। तो चलिए सबसे पहले हम लोग जानते हैं कि भेदभाव किसे कहते हैं?
भेदभाव किसे कहते हैं?
भेदभाव तब उत्पन्न होती है जब लोग पूर्वाग्रहों या रूढ़िवादी धारणाओं के आधार पर व्यवहार करते हैं?
अब आपके मन में यह सवाल आ रही होगी कि पूर्वाग्रह या रूढ़िवाद क्या होता है? तो चलिए सबसे पहले हम लोग उस चीज को जानते हैं फिर वापस से भेदभाव पर लौटेंगे।
रूढ़िवाद क्या है? रूढ़िवादी का परिभाषा Click Here
रूढ़िवाद एक प्रकार का विचारधारा है। जो किसी चीज के बारे में पुराने समय से चली आ रही तथ्य एवं सिद्धांत पर विश्वास करती है एवं उसी को स्वीकार करती है।
रूढ़िवाद परिवर्तन को स्वीकार नहीं करता है। वह पहले से बनी परंपरा पर ही विश्वास करता है।
भेदभाव कैसे उतपन्न होता है?
तो हम कह सकते हैं कि जब पूर्वाग्रह या रूढ़िवादी धारणाओं के आधार पर लोगों के बीच व्यवहार किया जाता है तो उसे भेदभाव कहते हैं।
अगर कोई लोग किसी व्यक्ति को कुछ गतिविधियों में भाग लेने से रोकते हैं, किसी खास नौकरी को करने से रोकते हैं, या किसी मोहल्ले में रहने नहीं देते, एक ही नल में या चापाकल से पानी नहीं लेने देते और दूसरों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे गिलास में चाय नहीं पीने देते, इसका मतलब है कि वह व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के साथ भेदभाव कर रहा है।
भेदभाव कई कारणों से हो सकते हैं उदाहरण के लिए हम धर्म को ले सकते हैं। धर्म के आधार पर भी भेदभाव देखने को मिलता है। अमीरी और गरीबी के आधार पर भी भेदभाव किया जाता है।
भेदभाव क्या है?
बहुत से ऐसे लोग हैं जिनके पास अपने खाने के लिए कपड़े और घर की मूल जरूरतों की पूरा करने के लिए पैसे और साधन नहीं होते हैं। इस कारण से उन्हें दफ्तरों, अस्पतालों, स्कूलों इत्यादि में भेदभाव किया जाता है इस तरह के भेदभाव का आधार हम गरीबी कह सकते हैं।
भारतीय समाज में जाति और धर्म के आधार पर बहुत ही ज्यादा भेदभाव देखने को मिलता है।
दलित वह शब्द है जो नीचे कहीं जाने वाली जाति के लोग अपनी पहचान के रूप में इस्तेमाल करते हैं। वह इस शब्द को अछूत से ज्यादा पसंद करते हैं। दलित का मतलब है जिन्हें “दबाया गया”, “कुचला गया” । दलितों के अनुसार यह शब्द दर्शाता है कि कैसे सामाजिक पूर्वाग्रहों और भेदभाव ने दलित लोगों को दबा कर रखा है। सरकार ऐसे लोगों को अनुसूचित जाति के वर्ग में रखती है।
भेदभाव को कैसे खत्म किया जा सकता है?
जब किसी व्यक्ति के साथ किसी भी तरह का भेदभाव किया जाता है तो वह व्यक्ति अपने आप को नीच समझने लगता है और मन ही मन अपने अरमान और इच्छाओं को दबा देता है। ऐसा ही कुछ हुआ था डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के साथ…
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जो हमारे संविधान के रचयिता माने जाते हैं। उन्हें भी जाति को लेकर के बहुत ज्यादा उनके साथ भेदभाव किया गया। वह एक दलित जाति से आते थे इसीलिए उन्हें जाति के आधार पर भेदभाव का सामना करना पड़ा।
Bhedbhav ka arth evam Bhedbhav ka paribhasha
लेकिन वह एक शिक्षित व्यक्ति थे और उन्होंने ऐसा कर दिखलाया की जो उन्हें नीच कहते थे, जो उनसे जाति के नाम पर भेदभाव करते थे, आज उन्हीं के बताए रास्ते पर उन्हें भी चलना पड़ता है, यानि कहने का तात्पर्य यह है कि बाबासाहेब आंबेडकर हीं भारतीय संविधान की रचना की और यह संविधान पूरे भारतीयों के लिए लागू होता है चाहे वह दलित हो या सामान्य।आज दलित से लेकर के सामान्य जाति के लोग भी उसी संविधान का अनुसरण करते हैं। जो एक दलितों के द्वारा निर्माण किया गया है|
तो इससे स्पष्ट है कि भेदभाव का खात्मा करने का सिर्फ और सिर्फ एक ही उपाय है वह है- शिक्षित होना।
शिक्षा ही भेदभाव का अंत हो सकता है चाहे किसी भी तरह का भेदभाव हो जाति का हो, अमीरी- गरीबी में जो भेदभाव होती है। शिक्षा ही ऐसा साधन है जो आपकी गरीबी को मिटा सकता है इसलिए भेदभाव का अंत अगर चाहते हैं तो शिक्षा सर्वोपरि है। धन्यवाद …!
आज के इस लेख में आपने जाना कि- भेदभाव क्या है ?
मैं उम्मीद करता हूं कि यह लेख आपको पसंद आई होगी तथा यह आपके लिए उपयोगी भी होगा। इसी तरह के अन्य लेख को पढ़ने के लिए पढ़ते रहिए…..RKRSTUDY.NET
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