बुद्धि किसे कहते हैं?

बुद्धि वह शक्ति है जो हमें समस्याओं का समाधान करने के लिए तथा उद्देश्य को प्राप्त करने में सक्षम बनाती है। बुद्धि शब्द का प्रयोग सामान्यतः प्रतिभा ज्ञान एवं समझ  इत्यादि के अर्थों में किया जाता है। बुद्धि को व्यक्ति की जन्मजात शक्ति कहा जाता है, जिसके उचित विकास में उसके परिवेश की प्रमुख भूमिका होती है। मानव विकास की विभिन्न अवस्थाओं में बुद्धि के विकास में भी अंतर होता है।

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बुद्धि अंग्रेजी शब्द Intelligence का हिन्दी है। Intelligence लैटिन भाषा का शब्द है जो कि लैटिन भाषा के दो शब्दों Inter एवं Legere से मिलकर बना है।बुद्धि के अर्थ के बारे में मनोवैज्ञानिकों के बीच मतभेद है, जिससे बुद्धि के किसी एक अर्थ में सहमति नहीं है।

बुद्धि तीन पक्ष होते हैं – कार्यात्मक, संरचनात्मक एवं क्रियात्मक।

बुद्धि को तीन श्रेणियों में रखा गया है – सामाजिक बुद्धि, स्थूल बुद्धि, एवं अमूर्त बुद्धि।

1. अमूर्त बुद्धि

अमूर्त बुद्धि व्यक्ति की ऐसी बौद्धिक योग्यता जिसकी मदद से गणित, शाब्दिक, या सांकेतिक समस्याओं का समाधान किया जाता है।

अमूर्त बुद्धि का प्रयोग करके हम पढ़ने, लिखने एवं तार्किक प्रश्नों में करते हैं। कवि, साहित्यकार, चित्रकार आदि लोग अमूर्त बुद्धि से ही अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं।

2. स्थूल बुद्धि

मूर्त या स्थूल बुद्धि के द्वारा व्यक्ति विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का व्यावहारिक एवं उत्तम प्रयोग करने की क्षमता अर्जित करता है।

मूर्त बुद्धि को व्यावहारिक यान्त्रिक बुद्धि भी कहा जाता है। हम अपने दैनिक जीवन के ज्यादातर कार्य मूर्त बुद्धि की ही सहायता से करते हैं।

3. सामाजिक बुद्धि

सामाजिक बुद्धि से तात्पर्य उन बौद्धिक योग्यताओं से जिसका उपयोग कर व्यक्ति सामाजिक परिवेश के साथ समायोजन स्थापित करने में करता है।

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वंशानुक्रम एवं वातावरण तथा दोनों की अंतः क्रिया बुद्धि को प्रभावित करने वाले
कारक है

बुद्धि की परिभाषा

बुद्धि के संदर्भ में विभिन्न मनोवैज्ञानिकों द्वारा दी गई परिभाषा निम्न प्रकार से हैं –

वुडवर्थ के अनुसार – “बुद्धि कार्य करने की एक विधि है।”

वुडरो के अनुसार- “बुद्धि ज्ञानार्जन की क्षमता है।”

बकिंघम के अनुसार –“सीखने की शक्ति ही बुद्धि है।”

गॉल्टन के अनुसार –“बुद्धि पहचानने और सीखने की शक्ति है।”

बीने या बिने के अनुसार –“बुद्धि चार शब्दों में निहित है। – ज्ञान, अविष्कार, निर्देश, आलोचना।”

रायबर्न के अनुसार –“बुद्धि वह शक्ति है जो हमको समस्याओं का समाधान खोजने तथा लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक है।”

प्रिंटर के अनुसार –“बुद्धि का विकास जन्म से लेकर किशोरावस्था तक होता है।”

क्रूज़ के अनुसार –“बुद्धि नई तथा भिन्न परिस्थितियों में समुचित रूप से समायोजन करने की योग्यता है।”

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बुद्धि के सिद्धान्त

 बुद्धि के प्रमुख सिद्धान्तों को नीचे दिया गया है-

  1. बुद्धि का एक-तत्त्व सिद्धान्त
  2. बुद्धि का द्वि-तत्त्व सिद्धान्त
  3. बुद्धि का बहु-तत्त्व सिद्धान्त
  4. बुद्धि का समूह-तत्त्व सिद्धान्त
  5. बुद्धि का प्रतिदर्श सिद्धान्त
  6. बुद्धि का क्रमिक महत्त्व सिद्धान्त
  7. बुद्धि का त्रि-आयाम सिद्धान्त

1. बुद्धि का एक-तत्त्व सिद्धान्त

बुद्धि के एक-तत्व सिद्धान्त को बिने ने दिया था।  बिने ने बुद्धि को एक इकाई माना है, जिसके अनुसार व्यक्ति की विभिन्न मानसिक योग्यताएँ एक इकाई के रूप में काम करती हैं।

2. बुद्धि का द्वि-तत्व सिद्धान्त

बुद्धि के द्वि-तत्व सिद्धान्त को स्पीयरमैन ने दिया था। मनोवैज्ञानिक स्पीयरमैन के अनुसार बुद्धि दो तत्त्वों से मिलकर बनी होती है। बुद्धि के यह दो तत्व –

  1. सामान्य तत्त्व 
  2. विशिष्ट तत्त्व हैं।

बुद्धि के द्वि-तत्व सिद्धान्त के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति में एक सामान्य तत्त्व होते हैं, जो विशिष्ट तत्त्वों से सम्बन्धित होते हैं। जिस व्यक्ति का सामान्य तत्त्व, विशिष्ट तत्त्व से जितना उत्तम रूप से सम्बन्धित होता है, उस व्यक्ति में उतनी ही अधिक बुद्धि होती है।

3. बुद्धि का बहु-तत्त्व सिद्धान्त

बुद्धि का बहु-तत्त्व सिद्धान्त का प्रतिपादन थॉर्नडाइक ने किया था। थॉर्नडाइक ने बुद्धि के द्वि-तत्व सिद्धान्त का खण्डन करते हुये कहा कि बुद्धि सिर्फ दो चींजों से मिलकर नहीं बनी, बल्कि बुद्धि की रचना बहुत से छोटे-छोटे तत्त्वों या कारकों के मिलने से हुई है।

थॉर्नडाइक के बुद्धि का बहु-तत्त्व सिद्धान्त के अनुसार प्रत्येक कारक या तत्त्व एक-दूसरे से स्वतन्त्र होता है, और एक विशिष्ट मानसिक क्षमता का प्रतिनिधित्व करता है।

4. बुद्धि का समूह-तत्त्व सिद्धान्त

बुद्धि के समूह-तत्त्व सिद्धान्त को मनोवैज्ञानिक थर्स्टन ने दिया था। बुद्धि के इस समूह-तत्त्व सिद्धान्त को कारक विश्लेषण सिद्धांत भी कहते हैं।

थर्स्टन ने बुद्धि को प्राथमिक योग्यताओं के कई समूहों में विभाजित किया, जिनमें हर समूह की योग्यताओं में से से एक प्राथमिक तत्व होता है।

थर्स्टन ने बुद्धि के समूह-तत्त्व सिद्धान्त में बुद्धि के समूह-तत्त्व सिद्धान्त में कुल नौ तत्वों को बताया जो कि निम्नलिखित हैं–

  1. मौखिक तत्त्व या शाब्दिक तत्त्व
  2. प्रेक्षण तत्व
  3. अंक सम्बन्धी तत्त्व
  4. शाब्दिक-प्रवाह सम्बन्धी तत्त्व
  5. स्मृति शक्ति तत्त्व
  6. प्रत्यक्षीकरण सम्बन्धी तत्त्व
  7. तार्किक तत्त्व
  8. निगमन तर्क तत्त्व
  9. आगमन तर्क तत्त्व

थर्स्टन के बुद्धि के समूह-तत्त्व सिद्धान्त के अनुसार दो मूल तत्त्वों में जितना अधिक सह-सम्बन्ध होता है, उनके बीच उतना ही अधिक हस्तान्तरण भी होता है।

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5. बुद्धि का प्रतिदर्श सिद्धान्त

बुद्धि का प्रतिदर्श सिद्धान्त को थॉमसन ने दिया था। थॉमसन के बुद्धि का प्रतिदर्श सिद्धान्त के अनुसार बुद्धि कई स्वतन्त्र तत्त्वों से मिलकर बनी होती है।

व्यक्ति किसी कार्य को करने के लिए अपनी सम्पूर्ण बुद्धि का प्रयोग न करके केवल उसके एक प्रतिदर्श का प्रयोग करता है।

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