चिंतन संकल्पना तथा तर्क For CTET
आज हमलोग जानेंगे की चिंतन क्या है, संकल्पना (concept) क्या है तथा तर्क(Arguments) क्या है ? चिंतन एक विश्लेषणात्मक पद्धति है तथा मानव स्वभाव की एक सामान्य प्रक्रिया है। चिंतन वह गतिविधि है जिसमें मानव के मस्तिष्क हमेशा गतिशील होती है। चिंतन की प्रक्रिया तब आरंभ होती है जब इंसान समस्याओं से घिरा होता है, तथा समस्या के समाधान के लिए विभिन्न साधनों के बारे में सोचता है।चिंतन अनेक प्रकार की मानसिक संरचना ऊपर निर्भर करता है जैसे :- संकल्पना तथा तर्क।चिन, संकल्पना तथा तर्क For CTET
संकल्पना (concept) क्या है?
- संकल्पना चिंतन का एक मुख्य तत्व है।संकल्पना वस्तुओं, क्रियाओं, विचारों तथा जीवित प्राणियों का प्रतिनिधित्व करती है।
- संकल्पना के अंतर्गत किसी के लक्षण जैसे :- मीठा, खट्टा, किसी के भाव, जैसे – क्रोध, भय इत्यादि के बारे में बात की जाती है।
- संकल्पना ऐसी मानसिक संरचनाएं है,जो हमारे ज्ञान को क्रमबद्ध रूप प्रदान करती है। हम उनका सीधे निरीक्षण नहीं कर सकते हैं, लेकिन हम उनका व्यवहार द्वारा अनुमान लगा सकते हैं।
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मनुष्य होने के कारण हमारे पास वस्तुओं, घटनाओं या प्रत्यक्ष की गई बातें कि आवश्यक लक्षणों को अमूर्त रूप में धारण करने की शक्ति होती है। चिंतन, संकल्पना तथा तर्क For CTET
तर्क (Arguments) क्या है?
- तर्क भी चिंतन का एक मुख्य पक्ष है, इस प्रक्रिया में अनुमान संलग्न है तर्क, तर्कपूर्ण विचार व समस्या के समाधान में उपयोगी होता है।
- यह उद्देश्य पूर्ण होता है और तथ्यों के आधार पर निष्कर्ष निकाले जाते हैं व निर्णय लिए जाते हैं।
- तर्क में हम पर्यावरण से प्राप्त जानकारी और मस्तिष्क में एकत्रित सूचनाओं का कतिपय नियमों के अंतर्गत उपयोग करते हैं।
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तर्क के दो प्रकार होता है –
आगमन और निगमन
- निगमन तर्क में हम पहले दिए गए कथन के आधार पर निष्कर्ष निकालने का प्रयास करते हैं, जबकि आगमन तर्क में हम उपलब्ध प्रमाण से निष्कर्ष निकालने से आरंभ करते हैं।
- अधिकतर मनोवैज्ञानिक तर्क आगमन प्रकृति के होते हैं मनोवैज्ञानिक हो या साधारण व्यक्ति कुछ घटनाओं के आधार पर सभी के लिए कुछ सामान्य नियम होते हैं जो तर्क पर बल देते हैं।
सृजनात्मक चिंतन (Creative Thought)
- सृजनात्मक चिंतन, चिंतन की एक नवीनतम तकनीक है। यह बालकों मैं किसी विषय, तथ्य, घटना, वस्तु आदि के बारे में सोचने का नवीन दृष्टिकोण विकसित करता है।
- सृजनात्मक चिंतन खोज, अविष्कार, मौलिकता को जन्म देती है, इसे अपसारी चिंतन (Divergent Thinking) भी कहा जाता है।