आज की लेख में आप गिजूभाई बधेका का शिक्षा दर्शन के बारे में अध्ययन करेंगे। इस लेख के अंतर्गत आप गिजूभाई के द्वारा दिया गया शिक्षा संबंधी विचार के बारे में जानेंगे। गिजूभाई के अनुसार शिक्षा का क्या अर्थ है? शिक्षा का क्या उद्देश्य है एवं बालको किस प्रकार की शिक्षा दी जानी चाहिए ? इन सारी बातों को इस लेख के अंतर्गत आप पढ़ेंगे। तो चलिए हम लोग गिजुभाई बधेका का शिक्षा दर्शन को जानते हैं।

गिजुभाई बधेका का शिक्षा दर्शन

गिजुभाई बधेका एक शिक्षक लेखक, दार्शनिक एवं शैक्षिक विचारक थे। वह शिक्षा को बाल केंद्रित मानते थे। गिजूभाई ने सिर्फ शिशु के शिक्षा के संबंध में अपने विचार व्यक्त किए हैं। 

उनका मानना था कि किसी भी प्रकार के विकास की नींव शिशु काल में भरी जानी चाहिए नींव मजबूत नहीं हुआ तो इमारत कभी भी गिर सकती है।

गिजुभाई बधेका का शैक्षणिक चिंतन

गिजूभाई शिशु काल में सर्वांगीण विकास की नींव रखने के पक्ष में थे। उन्होंने सर्वाधिक बाल बच्चों के नैतिक विकास पर दिए हैं। सत्य, अहिंसा, प्रेम, स्नेह, करुणा, दया, त्याग जैसे मानवीय गुणों का विकास पर उन्होंने बल दिया है।

साथ ही साथ उन्होंने शारीरिक एवं मानसिक विकास पर भी बल दिया है जिसमें सृजनशीलता के विकास, श्रेष्ठ नागरिकों के गुण का विकास तथा राष्ट्रीय भावनाओं जैसी विकास शामिल है।

गिजूभाई के अनुसार शिक्षा का अर्थ

गिजूभाई के अनुसार शिक्षा बालक की उसकी रूचि यों के अनुसार दी जानी चाहिए। बालक पुस्तकों एवं विषय क्षेत्रों से एकमात्र सीखने की अपेक्षा अपने स्वयं के यथार्थ व मूर्त अनुभवों की संरचना में संलग्न रहता है।

गिजुभाई बधेका के अनुसार शिक्षा का उद्देश्य

  • बच्चों को आदर व सम्मान दिया जाए।
  • शिक्षा अध्यापक केंद्रित ना होकर बाल केंद्रित होनी चाहिए।
  • बच्चों में नैतिक मूल्यों का विकास कराना चाहिए
  • बालकों की मानसिक एवं सृजनात्मक शक्ति का भी विकास कराना चाहिए।
  • बच्चों को निडर बनाया जाए।
  • बच्चों के उसके इच्छा एवं रूचि के अनुसार शिक्षा देने की प्रावधान की जाए।

आज के इस लेख में आप लोगों ने गिजुभाई बधेका का शिक्षा दर्शन के बारे में अध्ययन किया 

मैं उम्मीद करता हूं कि यह लेख आपको पसंद आई होगी तथा यह आपके लिए उपयोगी भी होगा। इसी तरह के अन्य लेख को पढ़ने के लिए पढ़ते रहिए…..RKRSTUDY.NET

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