जीन पियाजे के नैतिक विकास का सिद्धांत

नैतिकता (Morality) क्या है?

नैतिक मूल्यों की जननी नैतिकता का अर्थ नीति के अनुसार आचरण करना है प्रेम, भाईचारा, करुणा, दया, सहयोग, सद्भावना, मंगल कामना, न्यायप्रियता, सत्य, अहिंसा आदि की भावना नैतिकता का महत्वपूर्ण उदाहरण है इसका आधार पवित्रता, न्याय और सत्य है यह मानव का सद्गुण है नैतिकता मानव के जीवन का आभूषण है

  • नैतिकता सद्गुण (Virtue) है
  • नैतिकता का आधार पवित्रता, ईमानदारी तथा सत्यता है
  • नैतिकता व्यक्ति के कर्तव्य और आचरण से जुड़ी है
  • नैतिकता समाज स्वीकृत है
  • समाज भी सदस्यों की नैतिकता को अप्रत्यक्ष रूप से नियंत्रित करती है

जीन पियाजे के नैतिक विकास का सिद्धांत

पियाजे ने बालकों में होने वाले नैतिक विकास का क्रमबद्ध अध्ययन करने के फलस्वरूप उन्होंने नैतिक विकास का सिद्धांत दिया उस सिद्धांत को जीन पियाजे के नैतिक विकास का सिद्धांत के नाम से जाना जाता है

इनके अनुसार नैतिक निर्णय के विकास में एक निश्चित क्रम एवं तार्किक कर्म होता है जीन पियाजे के अनुसार नैतिक अवस्थाएं दो प्रकार की होती है जो निम्नलिखित है –

परायत्त नैतिकता (Stage of Heteronomous Morality) की अवस्था :-

यह अवस्था 2 से 8 वर्ष के बीच की अवस्था होती है पियाजे के अनुसार इस अवस्था का उद्भव बालकों में और असामान अंतः क्रिया से होती है इस अवस्था में बच्चों में नैतिक नियम निरपेक्ष, अपरिवर्तनशील तथा दृढ़ प्रवृत्ति के होते हैं

स्वायत्त नैतिकता (Autonomous Morality) की अवस्था :-

यह अवस्था 9 से 11 वर्ष के बीच की अवस्था है इस अवस्था में नैतिकता बच्चों के समकक्ष अर्थात मित्रों के बीच के संबंधों से विकसित होता है अपने मित्रों के संबंधों के द्वारा न्याय का एक ऐसा दर्शन उभरता है, जिससे दूसरे के अधिकारों के संदर्भ में चिंता एवं पारस्परिकता का भाव दिखता है बच्चों में सोचने की प्रवृत्ति होती है नियम एवं कानून लोगों द्वारा निर्मित किए गए हैं

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