पाठ्यपुस्तक विधि क्या है? Paathyapustak Vidhi Kya Hai
पाठ्यपुस्तक विधि क्या है?
यह विधि प्राचीन एवं परंपरागत विधि है। पाठ्यपुस्तक विधि का प्रयोग अध्यापक कई तरह से करते हैं।कुछ अध्यापक विद्यार्थियों से बारी-बारी से पाठ के अंश पड़ जाते हैं तथा स्वयं बीच-बीच में उनका स्पष्टीकरण करते जाते हैं।तो कुछ अध्यापक स्वयं ही पाठ को पढ़ते हैं तथा पाठ के बीच में रुक रुक कर कठिन वाक्य शब्दों की व्याख्या करते हैं।
इस तरह से पूरी कक्षा में एकदम जागृति बनी रहती है एवं विद्यार्थी तथा अध्यापक दोनों ही सक्रिय रहते हैं।
कुछ अध्यापक बालों को को घर से पाठ याद करने को दे देते हैं तथा कक्षा में सबके सामने पाठ सुनाते हैं।पाठ का सही असल ना करने पर बालकों को शिक्षक के द्वारा दंडित भी किया जाता है।
आमतौर पर पाठ्यपुस्तक विधि का प्रयोग छोटी कक्षा में किया जाता है जहां विद्यार्थियों को अभ्यास द्वारा एवं बार-बार काटकर अध्यापक पाठ को पढ़ाने में बल देते हैं।
पाठ्यपुस्तक विधि क्या है
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पाठ्यपुस्तक विधि के गुण
- इस विधि में पाठ्य सामग्री संगठित मिल जाती है तथा बालक रुचि के साथ पढ़ता है।
- इस विधि में बालक घर पर भी पाठ को दोहराते हैं तथा गृह कार्य करने में आसानी रहती है।
- पाठ्यपुस्तक विधि द्वारा कम समय में बालों को को ज्यादा ज्ञान दिया जा सकता है जो उनकी समझ में भी आ जाता है।
- इस विधि में शिक्षक एवं शिक्षार्थी दोनों सक्रिय रहते हैं।
पाठ्यपुस्तक विधि क्या है?
पाठ्यपुस्तक विधि के दोष
- यह विधि अमनोवैज्ञानिक है क्योंकि छात्रों को बगैर सोचे समझे रखने पर मजबूर करती है तथा उसकी तार्किक शक्ति को खत्म करती है।
- यह विधि बालकों में रखने की प्रवृत्ति पैदा करती है तथा वे किताबी कीड़े बन जाते हैं।
- पाठ्यपुस्तक विधि में बालक अध्यापक के आधार पर ही विषय को समझते हैं। इससे उनका अपना दृष्टिकोण सीमित रह जाता है।
- यह विधि बालकों को कुछ नया सोचने का अवसर नहीं प्रदान करता है।
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