इस पोस्ट के माध्यम से हम लोग यह जानेंगे कि पिछड़े बालक किसे कहते हैं? पिछले बालक की परिभाषा क्या है तथा पिछड़े बालक की पहचान क्या है?
पिछड़े बालक किसे कहते हैं?
पिछड़े बालक का तात्पर्य वैसे बालक से जो अपने कक्षा में अपने सहपाठियों की तुलना में शिक्षा को ग्रहण करने में काफी पिछड़ जाते हैं।
पिछड़े बालक की परिभाषा
ऐसे बालक जो अपने आयु वर्ग के अन्य बालकों की अपेक्षा बहुत कम शैक्षिक उपलब्धि प्राप्त करते हैं, पिछड़े बालक कहलाते हैं।
बर्ट के अनुसार :- पिछड़े बालक वे होते हैं जो अपनी आयु स्तर के एक सीढी नीचे के कक्षा के कार्य करने में भी असमर्थ होते हैं।
बार्टन के अनुसार :- पिछड़े बालक हुए होते हैं जिनकी शैक्षणिक उपलब्धि उनकी स्वाभाविक योग्यताओं से कम होती है।
शोनेल एवं शोनेल के अनुसार :- पिछड़े बालक उसी आयु के अन्य बालकों की तुलना में विशेष शैक्षिक निम्नता व्यक्त करते हैं।
पिछड़े बालक किसे कहते हैं?
बालक के पिछड़ेपन का कारण
बालक के पिछड़ेपन का अनेकों कारण हो सकता है। पिछड़ेपन का कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित है :-
- पारिवारिक स्थिति
- सामाजिक माहौल
- विद्यालय का वातावरण
- दोस्तों की संगति
- शारीरिक विकलांगता
- शारीरिक रोग
- माता-पिता का दृष्टिकोण
- बौद्धिक क्षमता
- अनुवांशिकता का प्रभाव
- वातावरण का प्रभाव
- माता-पिता का अशिक्षित होना।
- उपरोक्त सारे कारण बालक के पिछड़ेपन का कारण हैं।
पिछड़े बालक किसे कहते हैं?
पिछड़े बालक की पहचान
- पिछड़े बालक सामान्य बालक की अपेक्षा धीमी गति से सीखते हैं।
- पिछड़े बालक निराशा का अनुभव करते हैं।
- इस प्रकार के बालक में समाज विरोधी कार्यों की प्रवृत्ति होती है।
- इस प्रकार के बालक में जन्मजात योग्यताओं की तुलना में कम शैक्षिक उपलब्धि होता है।
- यह बालक मानसिक रूप से अस्वस्थ और
असमायोजित व्यवहार करते हैं। - पिछड़े वाला का अपनी और उसे नीचे की कक्षा का कार्य करने में भी असमर्थ होते हैं।
- पिछड़े बालक सामान्य शिक्षण विधियों द्वारा शिक्षा ग्रहण करने में असफल होते हैं।
- इस प्रकार के बालक सामान्य विद्यालय के पाठ्यक्रम से लाभ उठाने में भी असमर्थ होते हैं।
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