प्रगतिशील शिक्षा क्या है?
(Progressive Education) प्रगतिशील शिक्षा क्या है?प्रगतिशील शिक्षा आधुनिक शिक्षा पद्धति पर आधारित है। जॉन डीवी को प्रगतिशील शिक्षा पद्धति के पिता माना जाता है। प्रगतिशील शिक्षा एक जटिल पारंपरिक शिक्षा प्रणाली है, जो एक विकल्प के रूप में उभरकर आई है। प्रगतिशील शिक्षा प्रणाली को विकसित करने वाले व्यक्ति अमेरिकी मनोवैज्ञानिक जॉन डीवी है। इस प्रणाली के अंतर्गत शिक्षा का एकमात्र उद्देश्य बालकों का समग्र विकास करना है। इस प्रणाली में वैयक्तिक विभिन्नता को भी ध्यान में रखा गया है। ताकि विकास के दौर में कोई भी बालक पीछे ना रह जाए इस शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत विभिन्न विधियों का प्रयोग किया जाता है। जैसे- परियोजना विधि, समस्या समाधान विधि, क्रियाकलाप विधि इत्यादि।
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प्रगतिशील (Progressive Education) शिक्षा के प्रकार
प्रगतिशील शिक्षा के विभिन्न प्रकार निम्न है :-
1.मांटेसरी शिक्षा
इटालियन के प्रसिद्ध डॉक्टर एवं शिक्षाविद मारिया मांटेसरी द्वारा मांटेसरी शिक्षा प्रणाली की नींव रखी गई। इस शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत बच्चों के विश्लेषण एवं पर्यवेक्षण पर बल दिया गया है। उसने पर्यवेक्षण के आधार पर पाया की बच्चे स्वयं सीखते हैं, शिक्षक केवल सिखाने की प्रक्रिया बताते हैं तथा बच्चों के लिए स्वस्थ्य वातावरण निर्माण करते है। इस प्रकार से मांटेसरी शिक्षा प्रणाली बालकों के लिए काफी उपयोगी साबित हुआ।
प्रगतिशील शिक्षा Progressive Education क्या है?
2. मानवतावादी शिक्षा
मानवतावादी शिक्षा प्रणाली की शिक्षा का केंद्र बिंदु कला एवं सामाजिक विज्ञान होता है। यह बच्चों ने आलोचनात्मक सोच (Critical Thinking) एवं तार्किक कौशल ( Reasoning skill) को विकसित करता है। मानवतावादी शिक्षा सामाजिक अंतरक्रिया के माध्यम से सीखने पर जोर देता है।
3. संरचनावादी शिक्षा
यह शिक्षा प्रणाली बालकों में सृजनात्मकता पर आधारित है। अधिगम तकनीक एवं प्रायोगिक अधिगम के माध्यम से यह शिक्षा प्रणाली करके सीखने पर बल देता है। प्रगतिशील शिक्षा क्या है?
प्रगतिशील शिक्षा {Progressive Education} को विकसित करने वाले सिद्धांत
प्रगतिशील शिक्षा के विकास में योगदान देने वाले कुछ महत्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक सिद्धांत निम्न है :-
मस्तिष्क एवं बुद्धि
- (Brain) मस्तिष्क एवं बुद्धि मनुष्य की उन क्रियाओं के परिणाम है जिनसे जीवन की विभिन्न व्यवहारिक एवं सामाजिक समस्याओं को सुलझाने के लिए करता है। जैसे -जैसे कोई व्यक्ति जीवन की दैनिक क्रियाओं को करने में मानसिक शक्तियों का प्रयोग करता है। वैसे -वैसे उसका विकास भी होता जाता है।
- मस्तिष्क ही वह सबसे प्रमुख साधन है, जिसकी सहायता से मनुष्य अपनी समस्याओं का हल करता है। एक साधन के रूप में मस्तिष्क के तीन रूप होते हैं- चिंतन, अनुभूति एवं संकल्प।
ज्ञान
- ज्ञान कर्म का ही परिणाम है कर्म अनुभव से पूर्व आता है। अनुभव ज्ञान का स्रोत है, जिस प्रकार बालक अनुभव से यह समझता है। आग में हाथ लगाने से हाथ जल सकती है उसी प्रकार उसका संपूर्ण ज्ञान अनुभव पर आधारित होता है।
मौलिक प्रवृतियां
- सभी प्रकार के ज्ञान व्यक्तियों के उन क्रियाओं के फलस्वरूप प्राप्त होता है, जो वह अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करने में करते हैं। सुरक्षा, भोजन कथा वस्त्र के लिए मानव जो संघर्ष करता है, उसका परिणाम होता है।
चिंतन की प्रक्रिया
- चिंतन का कुछ कारण होता है किसी उद्देश्य के आधार पर मनुष्य सोचना प्रारंभ करता है। यदि मनुष्य की क्रिया सफलतापूर्वक चलती रहती है तो उसे सोचने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती, किंतु उसकी प्रगति में बाधा पड़ती है, तब वह सोचने के लिए बाध्य हो जाता है।प्रगतिशील शिक्षा क्या है?
उपरोक्त सभी सिद्धांतों के आधार पर मनोवैज्ञानिकों ने प्रगतिशील शिक्षा की नींव रखी है। जिसने इस बात पर जोड़ दिया गया है कि बालक को जो शिक्षा दी जाए, वह मानसिक क्रियाओं की विभिन्न कथाओं के अनुसार हो।
प्रगतिशील शिक्षा का महत्व
बालकों की शक्तियों का विकास
- इसका उद्देश्य बालकों का विकास करना है। बालकों की रुचि एवं योग्यताओं को ध्यान में रखकर
- अध्यापक द्वारा उसका निर्देशन किया जाना चाहिए।
- बालकों को स्वयं करके सीखने पर बोल देना चाहिए।
सामाजिक विकास का अवसर
- शिक्षा बालक के लिए नहीं है, बालक शिक्षा के लिए हैं इसीलिए शिक्षा का उद्देश्य ऐसा वातावरण तैयार करना है। जिससे बालको को सामाजिक विकास के पर्याप्त अवसर प्राप्त हो सके।
- शिक्षा के माध्यम से एक ऐसे समाज के निर्माण पर बल देना चाहिए, जो भेदभाव मुक्त हो जिसमें सहयोग की प्रवृत्ति हो तथा कार्य का स्वतंत्र वातावरण हो।
- सभी मनुष्य को उनके स्वाभाविक प्रवृत्तियों, इच्छा और आकांक्षाओं के अनुसार समाज में विकास का अवसर मिलना चाहिए।
अनुशासन का विकास
- प्रगतिशील शिक्षा का उद्देश्य है, अनुशासन बनाए रखने के लिए बालकों की स्वभाविक प्रवृत्तियों को दबाना नहीं चाहिए।
- अनुशासन का संबंध केवल बालक निजी व्यक्तित्व से नहीं,अपितु सामाजिक परिस्थितियों से भी है। विद्यालय में एक समान उद्देश्य लेकर सामाजिक, नैतिक, बौद्धिक एवं शारीरिक कार्यों में एक सारा भाग लेने से बालकों में अनुशासन उत्पन्न होता है तथा उनमें नियमित रूप से कार्य करने की आदतों का विकास होता है।
प्रगतिशील शिक्षा क्या है?
उपरोक्त लेख के आधार पर हम लोगों ने देखा कि प्रगतिशील शिक्षा (Progressive Education) क्या है? इनके कौन-कौन से महत्व हैं एवं प्रगतिशील शिक्षा के उद्देश्य क्या है?
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