प्रतिभाशाली बालक किसे कहते हैं?


प्रतिभाशाली बालक, विशिष्ट बालक के अंतर्गत ही आते हैं। प्रतिभाशाली बालक को समझने के लिए हमें विशिष्ट बालक को भी जानना जरूरी है। इसीलिए हम लोग पहले विशिष्ट बालक के बारे में अध्ययन करते हैं। उसके उपरांत हम लोग प्रतिभाशाली बालक किसे कहते हैं, उनकी क्या विशेषताएं होती है तथा उनकी क्या आवश्यकता है। इन सभी के बारे में विस्तृत रूप से अध्ययन करते हैं।


यदि आप  CTET या  TET EXAMS की तैयारी कर रहें हैं तो RKRSTUDY.NET पर TET का बेहतरीन NOTES उपलब्ध है NOTES का Link नीचे दिया गया है :-

विशिष्ट बालक

वह बालक जो मानसिक, शारीरिक, सामाजिक, संवेगात्मक आदि विशेषताओं में औसत से विशिष्ट हो और यह विशिष्टता इस स्तर की हो कि उसने अपने विकास के लिए विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता हो, विशिष्ट बालक कहलाता है।

विशिष्ट बालक का वर्गीकरण :-

  1. प्रतिभाशाली बालक
  2. सृजनशील बालक
  3. पिछड़े बालक
  4. मंद-बुद्धि बालक
  5. संवेगात्मक दृष्टि से पिछड़े बालक
  6. बाल अपराधी

प्रतिभाशाली बालक किसे कहते हैं?


जैसा कि नाम से ही स्पष्ट हो रहा है कि प्रतिभाशाली बालक अर्थात उस बालक में कुछ विशेष प्रतिभा निहित है। ऐसे बालक जो अपनी श्रेष्ठ क्षमता के बल पर शैक्षिक उपलब्धियों में विद्यालय स्तर पर स्थान प्राप्त करते हैं, या किसी विशेष क्षेत्र जैसे – गणित, कला, विज्ञान, सृजनात्मक लेखन इत्यादि में उच्च स्तरीय प्रतिभा रखते हैं, प्रतिभाशाली बालक(Talented Children) किस श्रेणी में आते हैं।


प्रतिभाशाली बालक की विशेषताएं-

  • कोई भी पाठ को आसानी से सीखना।
  • बुद्धि एवं व्यावहारिक ज्ञान का उपयोग सामान्य बालक से अधिक करना।
  • विशाल शब्दकोश भंडार का होना।
  • मानसिक प्रक्रिया में तीव्रता।
  • अपने साथियों की तुलना में अधिक ज्ञान।
  • कठिन मानसिक कार्य को भी आसानी से करने में सक्षम।
  • किसी प्रश्न का उत्तर देने की कोशिश करना।
  • सामान्य अध्ययन में रुचि।
  • अत्यंत जिज्ञासु प्रवृत्ति का होना।
  • उच्च बुद्धि लब्धि (130 से 170 )
  • सकारात्मक आत्मविश्वास।
  • जोखिम (Risk) उठाने की क्षमता।
  • चरित्र व्यक्तित्व में अन्य बालको से अलग होना।
  • विषय वस्तु के अलावा सहायक पुस्तकों ( कहानी, उपन्यास, पेपर, पत्रिका) का अध्ययन करना।

प्रतिभाशाली बालकों की शिक्षा


प्रतिभाशाली बालकों के लिए विशेष शिक्षा की आवश्यकता पड़ती है। ऐसे बालकों को शिक्षित करने के लिए अध्यापकों का भी विशेष रूप से प्रशिक्षित होना अनिवार्य है। शिक्षकों को चाहिए कि वे प्रतिभाशाली बालकों की योग्यताओं का विकास करने का पूरा पूरा अवसर उपलब्ध कराएं। प्रतिभाशाली बालक पाठ्यक्रम को समझने में सामान्य बालकों की अपेक्षा बहुत कम समय लेते हैं। एक शिक्षक को चाहिए कि इन बचे हुए समय में बालकों को किसी और से सृजनात्मक कार्य में व्यस्त रखें।


Read more:-

CTET Whatsapp Group : – Join Now

इसे भी पढ़ें :-