आज हम लोग इस लेख में पड़ेंगे की सामान्य बालक एवं विशिष्ट बालक में अंतर क्या क्या होता है? हम लोग यह भी पढ़ेंगे कि सामान्य बालक किसे कहते हैं तथा विशिष्ट बालक किसे कहते हैं? सामान्य बालक (Simple Child) तथा विशिष्ट बालक के क्या-क्या गुण होते हैं? तो चलिए हम लोग  सामान्य बालक तथा विशिष्ट बालक में अंतर को जानने से पहले हम लोग यह जानते हैं कि सामान्य बालक एवं विशिष्ट बालक कहते किसको हैं?

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सामान्य बालक

वैसे बालक जो अपने सहपाठियों के गुणों के बराबर का गुण प्रदर्शित करते हैं यानी उसमें कोई विशेष प्रकार का गुण या अभिलक्षण नहीं पाया जाता है उसे सामान्य बालक कहते हैं।

सामान्य बालक तथा विशिष्ट बालक में अंतर

सामान्य बालक का तात्पर्य वैसे बालक से है जो स्वस्थ बालक के समान ही रहते हैं। जैसे उनमें कोई शारीरिक दोष नहीं हो, मानसिक उपलब्धियां भी सामान्य हो तथा सोचने विचारने की शक्तियां भी अन्य बालकों की तरह ही हो।इस प्रकार के बालक को सामान्य बालक की श्रेणी में करते हैं।

हम कर सकते हैं कि वह सा बालक जो कोई भी विशेष प्रकार की गुण या अभिलक्षण को प्रदर्शित नहीं करते हैं सामान्य बालक कहलाते हैं।

विशिष्ट बालक

वैसे बालक जो मानसिक, शारीरिक, सामाजिक, संवेगात्मक इत्यादि में सामान्य वालों को की अपेक्षा एक अलग गुण प्रदर्शित करता है इस प्रकार के बालक को विशिष्ट बालक कहते हैं।

सामान्य बालक एवं विशिष्ट बालक में अंतर

सामान्य बालक

विशिष्ट बालक

सामान्य बालक शारीरिक रूप से स्वस्थ होते हैं। विशिष्ट बालक शारीरिक रूप से दिव्यांग या विकलांग होते हैं।
सामान्य बालक विद्यालय एवं अपने समाज के साथ आसानी से सामंजस्य कर लेते हैं। विशिष्ट बालक को विद्यालय एवं समाज के साथ आसानी से सामंजस्य करने में कठिनाई होती है।
सामान्य बालक अन्य बालकों की तरह सामान्य बुद्धि की होते हैं। विशिष्ट बालक अन्य बालकों की अपेक्षा याद तो निम्न बुद्धि के होते हैं या उच्च बुद्धि के होते हैं।
सामान्य बालक की बुद्धि लब्धि 90 से 110 के बीच होती है। विशिष्ट बालक की बुद्धि लब्धि पढ़ाया 90 से कम या 110 से ऊपर होती हैं।
सामान्य बालक उभयमुखी होते हैं। विशिष्ट बालक प्राय: अंतर्मुखी होते हैं।

 

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