आज के इस लेख में आप सभी लोग शिक्षा की प्रकृति के बारे में अध्ययन करेंगे। इस लेख के माध्यम से आप सभी लोग जानेंगे कि शिक्षा की प्रकृति क्या है? तो चलिए हम सभी लोग शिक्षा की प्रकृति को जानने का प्रयास करते हैं?

शिक्षा की प्रकृति क्या है?

शिक्षा की प्रकृति क्या है?

1. शिक्षा आजीवन चलने वाली प्रक्रिया है।

शिक्षा मनुष्य के जन्म से आरंभ हो जाती है और मृत्यु पर्यंत चलती रहती है। इसीलिए शिक्षा को आजीवन चलने वाली प्रक्रिया भी कहा जाता है।

2. शिक्षा एक विकासात्मक प्रक्रिया है।

पेस्टोलॉजी का कहना है कि – शिक्षा मनुष्य की जन्मजात शक्तियों का स्वभाविक समरूप एवं प्रगतिशील विकास है। ऐसा ही विचार रूस ने भी दिया था उन्होंने कहा था कि- शिक्षा अंदर के विकास को कहते हैं, ना कि बाहर के विकास को। इसीलिए शिक्षा को एक विकासात्मक प्रक्रिया कहा जाता है।

3. शिक्षा एक संश्लिष्ट प्रक्रिया है।

शिक्षा की प्रक्रिया में जो विकास होता है वह संश्लिष्ट होता है, अलग अलग नहीं होता है। इसमें विकसित होने वाले अंग साथ साथ कार्य करते हैं। जैसे मस्तिष्क के साथ पेसियां भी कार्यरत रहती है। शरीर विकसित होता है तो साथ ही साथ मानसिक विकास भी होता है।

4. शिक्षा एक त्रिमुखी प्रक्रिया है।

ऐडम्स का कहना है कि-  शिक्षा एक त्रिमुखी प्रक्रिया है, जिसमें एक और शिक्षक और दूसरे और शिक्षार्थी रहता है। राॅस महोदय ने भी कहा था कि चुंबक की तरह शिक्षा के दो ध्रुव होते हैं।

5. शिक्षा एक त्रिमुखी प्रक्रिया है।

ड्यूवी महोदय ने बताया कि-  शिक्षा एक त्रिमुखी प्रक्रिया है इसमें शिक्षक एवं छात्र के अलावा सामाजिक तत्व का भी भरपूर प्रभाव होता है, और इसका महत्व उन दोनों से कम नहीं है। इसीलिए शिक्षा एक त्रिमुखी प्रक्रिया है।

ड्यूवी के अनुसार दिया गया शिक्षा के त्रिमुखी प्रक्रिया में –

1. शिक्षक, 2. विषय और विद्यार्थी होते हैं।

6. शिक्षा एक गतिशील प्रक्रिया है।

शिक्षा में हमेशा परिवर्तन होता है इसीलिए शिक्षा को गतिशील स्वरूप में सभी शिक्षाशास्त्री स्वीकार करते हैं। शिक्षा जीवन के लिए है, शिक्षा स्वयं जीवन है, जीवन विकास है, जीवन का अर्थ गति है, इस प्रकार से शिक्षा गतिशील है।

7. शिक्षा एक परिवर्तन है।

शिक्षा एक परिवर्तन है, यानी यह व्यक्ति के व्यवहार एवं विचार में परिवर्तन लाती है। जन्म के समय बालक असहाय, अव्यवहारिक एवं अशिक्षित होता है। शिक्षा ही उसे धीरे-धीरे परिवर्तन करके व्यवहारिक, शिक्षित, सभ्य इत्यादि से परिपूर्ण बनाता है। इसीलिए शिक्षा को कहा गया है कि शिक्षा एक परिवर्तन है।

8. शिक्षा व्यक्ति को प्रशिक्षित करने की प्रक्रिया है।

शिक्षा व्यक्ति को प्रत्येक क्षेत्र के लिए प्रशिक्षण देती है। शिक्षा व्यक्ति को बहुत ही केवल मानसिक क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्रदान करती है बहुत ही क्षेत्र में प्रशिक्षण प्रदान करके शिक्षा व्यक्ति को रोजी रोटी के लिए तैयार करती है तथा आर्थिक दृष्टि से मजबूत बनाती है।

शिक्षा की प्रकृति क्या है?

इस लेख के माध्यम से आपने शिक्षा के प्रकृति के बारे में अध्ययन किया।

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