आज के इस लेख में हम लोग स्किनर का सक्रिय अनुबंध के सिद्धांत को जानेंगे। स्किनर का अधिगम सिद्धांत क्या है? स्किनर ने अपने अधिगम सिद्धांत को प्रतिपादित करने के लिए किस पर प्रयोग किया इन सभी के बारे में इस लेख में अध्ययन करेंगे।

इस किन्नर ने सन 1930 में सफेद चूहे और एक प्रयोग किया तथा उसके निष्कर्ष के आधार पर उन्होंने एक अधिगम सिद्धांत को प्रतिपादित किया।

स्किनर के अधिगम सिद्धांत को स्किनर का सक्रिय अनुबंधन का सिद्धांत के नाम से जाना जाता है।

स्किनर का प्रयोग

स्किनर ने अपने प्रयोग के लिए सफेद चूहों को चुना। उन्होंने एक विशेष प्रकार के बक्सा को लिया जिसे स्किनर बक्सा कहते हैं।

बक्सा की संरचना कुछ इस प्रकार से थी कि बक्सा में एक छोटा सा मार्ग था। जिसमें लीवर लगा हुआ था, जिसका संबंध एक प्याला से था। लीवर जैसे ही देखता था तो जोर से कट की आवाज आती थी तथा प्याले पर एक खाने का टुकड़ा आ जाता था।

चूहा जब भी भूखा होता था तो वहां उछल कूद करने लगता था तथा इसी क्रम में चूहा का पेड़ लीवर पर पड़ता था तो जोर से खट की आवाज होती थी। चूहा आवाज की तरफ दौड़ता था तथा प्याला पर आने वाला भोजन के टुकड़े को खा लेता था। इस प्रकार से इस क्रिया को बार-बार दोहराया जाता है।

खाना चूहे के लिए पुनर्बलन का कार्य करता था। खाना चूहे को लीवर दबाने की क्रिया पर बल देता था। जब चूहा अधिक भूखा होता था तब वह अधिक सक्रिय पाया जाता था।

स्किनर के सक्रिय अनुबंध के सिद्धांत का महत्व

  • स्किनर का यह सिद्धांत पाठ्य वस्तु को छोटे-छोटे पदों में बांटने पर बल देता है। जिससे अधिगम आसान एवं प्रभावकारी हो जाता है।
  • छात्रों के व्यवहार को वांछित स्वरूप तथा दिशा प्रदान करने में यह सिद्धांत शिक्षकों को सहायता करता है।
  • स्किनर के सक्रिय अनुबंधन का सिद्धांत यह बताता है कि यदि छात्रों को उनके प्रयासों के परिणाम का ज्ञान करा दिया जाए तो विद्यार्थी अपने कार्य में अधिक उन्नति कर सकते हैं।
  • इस सिद्धांत का प्रयोग अभिक्रमित अधिगम के लिए किया गया है।
  • सक्रिय अनुबंधन में पुनर्बलन का अत्याधिक महत्व है। पुनर्बलन की अनेकों रूप हो सकते हैं जैसे :- डंड, पुरस्कार, परिणाम का ज्ञान इत्यादि।

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