अधिगम को प्रभावी एवम् सफल बनाने के लिए शिक्षण- सिद्धांतों के साथ साथ निम्नलखित-शिक्षण शूत्र का प्रयोग करना चाहिए-
ज्ञात से अज्ञात की ओर:-
शिक्षार्थी को अधिगम कराने से पूर्व उस विषय वस्तु से संबंधित, (जो विद्यार्थी जानता हो,) से पाठ का आरंभ करना चाहिए ज्ञान को आधार बनाकर शिक्षार्थियों को नवीन ज्ञान प्रदान करना चाहिए
मूर्त से अमूर्त की ओर
शिक्षार्थियों का आरंभ में मूर्त अर्थात प्रत्यक्ष चीजों का ज्ञान देना चाहिए जिसे शिक्षार्थी छू सकें, देख सकें तत्पश्चात उसे कल्पनाशीलता अर्थात अमूर्त का ज्ञान देना चाहिए I
विशिष्ट से सामान्य की ओर
सर्वप्रथम शिक्षार्थियों को एक विशेष उदाहरण के द्वारा विषय के अर्थ को स्पष्ट करना चाहिए इसके बाद अन्य उदाहरण देते हुए विषय को आगे बढ़ाना चाहिए
जैसे -शिक्षार्थियों को यह बताना चाहिए कि भोजन हमारे लिए क्यों आवश्यक है उसके बाद अन्य उदाहरणों के द्वारा यह स्पष्ट करना चाहिए कि जीवों को भोजन की आवश्यकता क्यों होती है I अंत में सामान्यीकरण प्रस्तुत करना चाहिए कि सभी जीवो को भोजन की आवश्यकता है I
जैसे -शिक्षार्थियों को यह बताना चाहिए कि भोजन हमारे लिए क्यों आवश्यक है उसके बाद अन्य उदाहरणों के द्वारा यह स्पष्ट करना चाहिए कि जीवों को भोजन की आवश्यकता क्यों होती है I अंत में सामान्यीकरण प्रस्तुत करना चाहिए कि सभी जीवो को भोजन की आवश्यकता है I
विश्लेषण से संश्लेषण की ओर:-
विश्लेषण अर्थात भंडार तथा संश्लेषण का अर्थ छोटा सा इकाई होता है I विद्यार्थियों को किसी तथ्य के विषय में व्यापक जानकारी देनी चाहिए उसके पश्चात उन तथ्यों को संयोजित कर संश्लेषण करना चाहिए अर्थात किसी विषय- वस्तु व्यापक रूप से चर्चा करके उसके बाद उसका सारांश प्रस्तुत करना चाहिए I उदाहरण स्वरूप जंगलों के दोहन से होने वाले नुकसान के विषय में व्यापक रूप से चर्चा करने के बाद या प्रस्तुत करना चाहिए कि जंगल पर्यावरण में संतुलन बनाए रखने के लिए अति आवश्यक है I
सरल से जटिल की ओर:-
विद्यार्थियों को अधिगम की शुरुआत बातों से करनी चाहिए, तत्पश्चात उनको जटिल अवधारणाओं और तथ्यों को बताना चाहिए
जैसे- विभिन्न आवासों के बारे में बताने से पहले शिक्षार्थियों से यह प्रश्न करना चाहिए कि वह किस प्रकार की आवास में रहते हैं, तत्पश्चात उन्हें बताना चाहिए कि विभिन्न क्षेत्रों आवासों में भिन्नता का कारण क्या है ?