आज के इस लेख में आप सभी लोग विद्यालय के कार्य के बारे में अध्ययन करेंगे आप जानेंगे कि विद्यालय के प्रमुख कार्य कौन-कौन से हैं? विद्यालय का क्या कार्य होता है? इन सभी बातों का आप इस लेख के माध्यम से जानकारी को प्राप्त करेंगे।

विद्यालय के कार्य को जानने से पहले हम लोग यह जानते हैं कि विद्यालय किसे कहते हैं?

विद्यालय एक हिंदी शब्द है जो दो शब्दों से मिलकर बना है- विद्या और आलय

विद्या का अर्थ विद्या या ज्ञान होता है। वहीं दूसरा शब्द आलय का अर्थ घर होता है।

यानी कि हम कह सकते हैं कि विद्या के घर को विद्यालय कहा जाता है।

वैसा संस्थान जहां बालक के शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक एवं नैतिक गुणों का विकास कराया जाता है विद्यालय कहलाता है।

विद्यालय के प्रमुख कार्य कौन-कौन से हैं?

विद्यालय के प्रमुख कार्य कौन-कौन से हैं?

विद्यालय के प्रमुख कार्य निम्नलिखित है:-

टॉमसन के अनुसार विद्यालय के कार्य

मानसिक प्रशिक्षण- मानसिक प्रशिक्षण का अर्थ है- किताबी ज्ञान और तर्क शक्ति का विकास कराना, विद्यालय का यह कार्य संकुचित तो है पर एक साथ ही आवश्यक भी है।

चारित्रिक प्रशिक्षण देना- चारित्रिक प्रशिक्षण विद्यालय का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। प्राचीन समय के सरल समाज में समाज द्वारा चारित्रिक प्रशिक्षण दिया जाना संभव था पर आज के जटिल समाज में यह संभव नहीं है। अतः यह कार्य प्रशिक्षण द्वारा किया जाना चाहिए।

समुदाय के जीवन का प्रशिक्षण देना- विद्यालय के समुदाय के जीवन का प्रशिक्षण देना चाहिए। अतः विद्यालय ऐसा वातावरण प्रदान करें जिसमें रहकर छात्र स्वभाविक जीवन व्यतीत कर सके।

राष्ट्रीय गर्व एवं देश प्रेम का प्रशिक्षण देना- राष्ट्रीय गर्व और देश-प्रेम दो ऐसी श्रेष्ठ भावनाएं हैं कि इनके बिना छात्र उच्च आदर्शों को प्राप्त नहीं कर सकते हैं। अतः विद्यालय को इन भावनाओं को विकसित करना चाहिए जिससे बालक स्वयं के साथ-साथ अपने देश के प्रति लगाव को व्यक्त कर सकें।

स्वास्थ्य व स्वच्छता का प्रशिक्षण- हमारी सभ्यता ने पहले की अपेक्षा लोगों को अधिक संख्या में नगरों में बसा दिया है। यहां वे और अस्वस्थ और अस्वच्छ परिस्थितियों में रहते हैं। अतः आवश्यक है कि विद्यालय में छात्रों और छात्राओं को स्वच्छता का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।

ब्रेबेकर के अनुसार विद्यालय के कार्य

संरक्षण कार्य- हमारी सामाजिक संस्कृति बहुत मुसीबतों और बलिदानों द्वारा प्राप्त की गई है। इस सभ्यता और संस्कृति को बरकरार रखने के लिए विद्यालय को इसकी शिक्षा देकर इसे सुरक्षित रखना चाहिए। सांस्कृतिक आदर्शों द्वारा ही सुरक्षित रखे जाते हैं। इसीलिए विद्यालय सांस्कृतिक संरक्षण के कार्य की अपेक्षा नहीं कर सकता है।

प्रगतिशील कार्य- प्रगतिवादियों का कहना है कि- विद्यालय संस्कृति को सुरक्षित रखने की अपेक्षा समाज को प्रगति की ओर ले जाने का कार्य करें। विद्यालय नए विचारों और कार्यक्रमों को अपनाकर समाज के ढांचे और आदर्शों को समय के अनुसार परिवर्तित किया जा सकता है।

निष्पक्ष कार्य- कुछ व्यक्तियों का मत है कि- विद्यालय को निष्पक्ष कार्य करने चाहिए। उसे सांस्कृतिक सुरक्षा नवीन विचारों राजनीति आदि से कोई प्रयोजन नहीं रखना चाहिए। इसका स्थान सांस्कृतिक मामलों से ऊपर है उस का प्रमुख कार्य अनंत मूल्यों और सब्जियों को शिक्षा देना है। अतः उसे किसी मामले के पक्ष या विपक्ष में शिक्षा नहीं देनी चाहिए।

पारंपरिक विद्यालय के स्वरूप में बदलाव में उसके कार्यों में बदलाव ला दीया है आज उससे निम्नलिखित कार्यों को करने की अपेक्षा की जाती है।

  • अपने समाज की संस्कृति हस्तांतरण करना और उनका संरक्षण करना।
  • दिन प्रतिदिन के नवीन ज्ञान को प्रदान करना।
  • नवीन ज्ञान के माध्यम से छात्रों में सृजनात्मक शक्ति का विकास कराना।
  • बच्चों में सामाजिक आदतों का विकास कराना।
  • समाज में फैली कुरीतियों का विरोध करने की क्षमता उत्पन्न कराना।
  • समाज की दृष्टि में उसमें उत्पादक क्षमता का विकास करना।
  • कल्पना शक्ति सौंदर्यनुभूति तथा सामूहिक भावना के विकास के लिए पाठ्यक्रम सहगामी क्रियाओं का आयोजन एवं संचालन तथा विकास के अवसरों को प्रदान कर आना चाहिए।
  • शारीरिक, सामाजिक, प्रौद्योगिकी, आर्थिक तथा सांस्कृतिक परिवेश के प्रति जागरूकता विकसित कराना।
  • देश की एकता उसके सम्मान और विकास को बनाए रखने के लिए समर्पण की भावना विकसित कराना।

उपरोक्त सभी बातों को अपना कर एक आदर्श विद्यालय की कामना की जा सकती है।

आज के इस लेख के माध्यम से अपने विद्यालय के प्रमुख कार्य कौन-कौन से हैं, इसको जाना।

मैं उम्मीद करता हूं कि यह लेख आपको पसंद आई होगी तथा यह आपके लिए उपयोगी भी होगा। इसी तरह के अन्य लेख को पढ़ने के लिए पढ़ते रहिए…..RKRSTUDY.NET

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