मूल्यांकन वह प्रक्रिया हैउनकी बुद्धि का स्तर क्या है, उजिसके द्वारा अधिगम की उपलब्धि का पता लगाया जाता है अर्थात विद्यार्थियों ने किस सीमा तक ज्ञान को प्राप्त किया है, किस सीमा तक ज्ञान को समझा है, नकी अभिरुचि क्या है इत्यादि का पता मूल्यांकन की प्रक्रिया से लगाया जाता है I मूल्यांकन से केवल विद्यार्थी के ज्ञान का ही आकलन नहीं होता है परंतु शिक्षक ने अपने अधिगम को किस हद तक विद्यार्थियों तक पहुंचाया है उसका भी पता लगता हैI मूल्यांकन की प्रक्रिया से यह पता चलता है कि बच्चे को समझने में कहां पर कठिनाई होती है तथा शिक्षक बच्चों की समस्याओं को भिन्न-भिन्न अधिगम उपागम के प्रयोगों के द्वारा बच्चों के समस्या को दूर करने की कोशिश करते हैंI मूल्यांकन के फलस्वरूप शिक्षक को अपने अधिगम शैली में कहां बदलाव करना है कहां नई विधियों के द्वारा शिक्षण देना है इन सभी बातों का पता चलता है I मूल्यांकन के फलस्वरूप अगर 90% बच्चे मूल्यांकन में सफल होते हैं तो शिक्षण व्यवस्था सही मानी जाती है I मूल्यांकन के फलस्वरूप अगर 90% बच्चे असफल होते हैं तो कहीं ना कहीं शिक्षण अधिगम में ही कमी होता हैI एक शिक्षक मूल्यांकन के बाद जरूरत के अनुसार विषय वस्तुओं को अलग-अलग विधियों के द्वारा विद्यार्थियों के समीप अधिगम कराते हैं जिससे विद्यार्थियों के कठिनाइयों को दूर करने में हद तक सफल होते हैं I
मूल्यांकन के उद्देश्य :-
मूल्यांकन के उद्देश्य निम्नलिखित है-
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छात्रों की उपलब्धि का पता लगाना I
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छात्रों के विकास में निरंतर गति देना I
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छात्रों के योग्यताएं, कुशलता,रुचि आदि का पता लगाना I
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छात्रों की कठिनाइयों,विफलताओं और असफलताओं का पता लगाना I
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छात्रों के अधिगम हेतु उपचारात्मक व्यवस्था प्रदान करना I
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शिक्षकों की कुशलता एवं सफलता का पता लगानाI
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अध्ययन- अध्यापन को प्रभावशाली बनाना I
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उपरोक्त सारी बातें शिक्षण में मूल्यांकन के उद्देश्य हैI